शेखर ने ये भी कहा है कि अगर वह अपने बेटे अध्ययन के साथ नहीं रहते तो वो भी डिप्रेशन में आकर कोई बड़ा कदम उठा सकता था। शेखर सुमन ने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री यहां पर गैंग चलाती है।

Sushant Singh Rajput
उभरते हुए कलाकारों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है। साजिश के तहत ये पूरा काम होता है। वो ये भी कहते हैं कि नेपोटिज्म शब्द तो वो खुद बचपन से सुनते हुए आ रहे हैं...

अंडरवर्ल्ड से कम भी नहीं फिल्म इंडस्ट्री
शेखर सुमन ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में अंडरवर्ल्ड के लोग नहीं है। लेकिन अंडरवर्ल्ड से कम भी नहीं है। क्योंकि उनका असर पूरी फिल्म इंडस्ट्री पर है। इन सबके बिना कहे हुए एक पत्ता भी नहीं हिल सकता।

यहां नेपोटिज्म नहीं गैंगइज्म है
नेपोटिज्म में बचपन से सुनता आ रहा हूं। इसे भाई-भतीजावाद कहते हैं। एक बाप अपने बेटे के लिए फिल्म बनाए तो नेपोटिज्म वाली बात नहीं उभरती है। एक भाई अपने भाई के लिए फिल्म बनाता है तो वो नेपोटिज्म नहीं है। यहां गैंगइज्म है। ये बहुत खतरनाक है। अगर फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म होता तो मैं कभी हीरो नहीं बनता।

विक्की कौशल जैसे बड़े बनते हैं
आज की तारीख में बाहर के कई कलाकारों को मौका दिया गया है। आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव के नाम इसमें शामिल है। समस्या तब शुरू होती है जब नेक्सेस सक्रिय होता है। जैसे विकी कौशल जब छोटी-मोटी फिल्में करते थे, तो किसी का ध्यान नहीं गया। जब वह बड़े बनते हैं तो नेक्सेस उसे अंदर लाते हैं। कॅान्ट्रैक्ट साइन करवाते हैं।

मैंने मूवर्स एंड शेकर्स में स्क्रिप्ट के हिसाब से लोगों से बात की। मेरे उसमें कोई निजी लाभ नहीं था। लेकिन इसकी सजा लोगों ने मेरे बच्चे को जरूर देंगे। मुझे पता है कि कितनी फिल्मों से उसे हटाया गया। कितने दरवाजे उसने खटखटाये। कितनों ने उसके मुंह पर दरवाजा मारा।
अध्यनन ने कहा कि वो भी ऐसा कर सकता था
अगर मैं अपने बेटे अध्ययन को भी ऐसे अकेला छोड़ देता तो वो भी एक ऐसे जोन में जा चुका था, जहां वो भी इस तरह के कदम उठा सकता था। मेरे लिए वो बहुत भयावह था। उसने मुझे बताया कि वो भी एक दिन ये कदम उठा सकता था, अगर तुम लोग मेरे पास नहीं होते। डिप्रेशन के दौरान लोगों का उस व्यक्ति के साथ होना बहुत जरूरी है।

