नई दिल्ली: चीन से तनाव के बीच भारत ने भूटान के साथ एक ऐसा समझौता किया है, जिसके बाद चीन और पाकिस्तान को मिर्ची लग गई है। मिली जानकारी के अनुसार, दोनों देशों ने 600 मेगावाट के लिए पनबिजली समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह खोलोंगछु भारत-भूटान संयुक्त उद्यम पनबिजली परियोजना है।
600 मेगावाट की खोलांगचू भारत-भूटान संयुक्त उद्यम पनबिजली परियोजना के लिए समझौते पर सोमवार को हस्ताक्षर किए गए। विदेश मंत्रालय के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके भूटानी समकक्ष टांडी दोरजी (एमईए) की उपस्थिति में भूटानी सरकार और खलोंगछु हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड के बीच परियोजना के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
उन्होंने कहा, “समझौते पर हस्ताक्षर करने से भारत और भूटान के बीच इस पहले संयुक्त जलविद्युत परियोजना के निर्माण और अन्य कार्य शुरू होंगे। परियोजना 2025 की दूसरी छमाही में पूरी होने की उम्मीद है।” 600 मेगावाट की रन-ऑफ-द-नदी परियोजना पूर्वी भूटान में त्राश्यांगत्से जिले में खलोंगछु नदी के निचले हिस्से पर स्थित है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि परियोजना में 95 मीटर की ऊंचाई पर कंक्रीट बांध से पानी के साथ चार 150 मेगावाट टर्बाइन के भूमिगत बिजलीघर को बनाया जाएगा। बयान में कहा गया है कि इसे भूटान के ड्रुक ग्रीन पावर कॉर्पोरेशन (DGPC) और भारत के सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVNL) के बीच गठित एक संयुक्त उद्यम कंपनी खोलोंगछु हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड द्वारा पूरा किया जाएगा।
जयशंकर और उनके भूटानी दोनों समकक्षों ने पारस्परिक रूप से लाभप्रद द्विपक्षीय सहयोग के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में जलविद्युत विकास के महत्व पर जोर दिया। बयान में कहा गया है कि उन्होंने विश्वास, सहयोग और पारस्परिक सम्मान को भी याद किया है, जिसमें अद्वितीय और विशेष मित्रता की विशेषता है। आपसी समझ और भारत व भूटान के बीच लोगों को एक साझा सांस्कृतिक विरासत है।
MEA ने कहा कि वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित हस्ताक्षर समारोह में भूटान के आर्थिक मामलों के मंत्री लोकनाथ शर्मा, भारत और भूटान के विदेश सचिवों सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारी सचिव (बिजली), भारत सरकार, भूटान में भारत के राजदूत, भारत में भूटान के राजदूत भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, ‘पनबिजली क्षेत्र भारत-भूटान द्विपक्षीय सहयोग का प्रमुख क्षेत्र है।’
भारत और भूटान के प्रधानमंत्रियों द्वारा अगस्त 2019 में 720 मेगावाट की मंगदेछु पनबिजली परियोजना का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया गया था। इसके साथ द्विपक्षीय सहयोग की चार पनबिजली परियोजनाएं (336 मेगावाट की चूका एचईपी, 60 मेगावाट कुरिचू एचईपी, 1,020 मेगावाट ताला एचईपी और 720 मेगावाट मंगडछू एचईपी), कुल मिलाकर 2,100 मेगावाट है, जो भूटान में पहले से ही चालू हैं।
